एक गाँव के किनारे, एक साधारण सी झोपड़ी में सुमित्रा नाम की महिला रहती थी। सुमित्रा विधवा थी, और उसकी पूरी दुनिया उसके बेटे, आर्यन, के इर्द-गिर्द घूमती थी। आर्यन उसकी एकमात्र आशा और जीने का सहारा था। उसने अपनी छोटी सी खेती और मजदूरी करके आर्यन को पढ़ाया-लिखाया।
आर्यन बचपन से ही बहुत बुद्धिमान था। सुमित्रा का सपना था कि उसका बेटा एक दिन बड़ा आदमी बने और उनकी गरीबी का अंत करे। उसने अपनी सारी खुशियाँ त्याग दीं और हर कठिनाई का सामना किया, ताकि आर्यन को अच्छी शिक्षा मिल सके। आर्यन ने अपनी माँ की मेहनत को समझा और गाँव से निकलकर शहर में नौकरी करने चला गया।
कुछ समय बाद, आर्यन की नौकरी लग गई और वह व्यस्त हो गया। सुमित्रा उसे हर रोज चिट्ठी लिखती, लेकिन जवाब कम ही आता। वह सोचती कि बेटा काम में व्यस्त होगा, लेकिन उसकी आँखें हर शाम रास्ते की ओर ताकती रहतीं।
Short Hindi Story on Mother Sacrifice: A Heartbreaking Tale of Love and Loss
एक दिन, सुमित्रा को पता चला कि आर्यन ने शादी कर ली है। उसे यह खबर पड़ोसियों से मिली। वह बहुत खुश हुई और बेटे को आशीर्वाद देने के लिए शहर जाने की तैयारी करने लगी। वह एक छोटी सी पोटली में घर का बना हलवा और आर्यन के बचपन की कुछ चीजें लेकर शहर पहुंची।
जब वह आर्यन के घर पहुँची, तो दरवाजे पर उसकी बहू ने उसे देख कर ठंडी नज़रों से पूछा, “कौन हैं आप?”
सुमित्रा ने कांपती आवाज़ में कहा, “मैं आर्यन की माँ हूँ।”
भीतर से आर्यन की आवाज़ आई, “कह दो, मैं व्यस्त हूँ।”
सुमित्रा के दिल पर जैसे किसी ने छुरा घोंप दिया। वह समझ गई कि बेटे के जीवन में अब उसकी जगह नहीं है। वह चुपचाप लौट आई, लेकिन उसके भीतर का दुख उसे खा गया। उसने धीरे-धीरे बोलना बंद कर दिया और एक दिन अपनी झोपड़ी में अकेली ही दम तोड़ दिया।
आर्यन को जब खबर मिली, तो वह रोने लगा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उसकी माँ, जिसने अपनी पूरी ज़िंदगी उसकी खुशियों के लिए न्योछावर कर दी, अब नहीं रही। आर्यन के आँसू उसकी माँ के लौटने के लिए पर्याप्त नहीं थे।
माँ की ममता अनमोल होती है, लेकिन कभी-कभी हम इसे समझने में देर कर देते हैं।