Motivational Story-Mahatma Ji Aur kutte Ki Kahani
एक बार Mahatma Ji अपने कुछ शिष्यों के साथ स्नान करने के लिए एक नदी के किनारे गए। Mahatma Ji ने वहाँ स्नान किया और उसके बाद वो अपने आश्रम के लिए लौटने लगे। जैसे ही Mahatma Ji स्नान करके लौट रहे थे, उनके सारे शिष्यों में से एक शिष्य बहुत दिनों से Mahatma Ji से कुछ पूछना चाहता था। उसे मौका ही नहीं मिल रहा था तो वो तुरंत Mahatma Ji के पास गया।और उसने Mahatma Ji से पूछा, गुरु जी, आप मुझे बताइए कि मैं आत्मज्ञान कैसे प्राप्त करूँ? मैं बहुत दिनों से कोशीश कर रहा हूँ कि आपसे पूछ सकूँ।
मैं बहुत समय से आश्रम में हूँ लेकिन मुझे लग नहीं रहा की मैं आत्मज्ञान की सीढ़ी पर हूँ तो गुरूजी ने कुछ नहीं कहा और आगे बढ़ते रहें। शिष्य बेचैन हो गया और फिर से गया। उसने कहा कि गुरु जी, क्या आप मुझे बताएंगे कि मैं कैसे आत्मज्ञान प्राप्त कर सकता हूँ? तो उस नदी के पास एक कुत्ता था। गुरु जी ने उस kutte की ओर इशारा किया और कहा कि इस kutte से सीख लो और उसके बाद आगे बढ़ गए।
इस बात को सुनकर शिष्य बहुत हैरान हुआ। वो सोचने लगा कि गुरूजी कैसे बातें कर रहे हैं, वो बहुत बेचैन हुआ।और फिर से गुरूजी के पीछे गया और फिर वही सवाल करने लगा कि गुरूजी, कृप्या आप मुझे बताएं कि मैं कैसे आत्मज्ञान प्राप्त कर गुरूजी ने कोई उत्तर नहीं दिया और वह आगे बढ़ते रहें?
वो शिष्य बहुत बेचैन हो रहा था और धीरे धीरे उसे क्रोध भी आ रहा था। वो फिर से आगे गया और उसने फिर से वही सवाल किया कि गुरु जी, आप मुझे बताइये कि मैं आत्मज्ञान कैसे प्राप्त करूँ? आप मुझसे मजाक कर रहे हैं, आप कह रहे है की उस kutte से सीख लो, लेकिन मैं उस kutte से नहीं सीखना चाहता गुरु जी।
गुरु जी जीस गली से गुजर रहे थे।वहाँ पर एक छोटा सा कुत्ता था, वो खेल रहा था तो गुरूजी ने कहा अगर उस kutte से नहीं सीखना चाहते तो इस kutte से सीख लो तो शिष्य बौखला उठा। उसने कहा कि गुरूजी में kutte से क्या सीख सकता हो।
तो गुरूजी ने कहा तुम भी बस ऐसा ही करो और मुस्कुराते हुए।वो आश्रम की ओर चल दिए। दोस्तों हो सकता है कि उस वक्त वो शिष्य उन Mahatma Ji की बात नहीं समझ पाया और आप में से कई लोगों को भी ये बात कुछ खटक रही हो।लेकिन गुरूजी ने उसे बहुत बड़ी सीख दे दी थी।
कुत्ता जब खाना खाता है तो वो बस खाना खाता है। कुत्ता जब सोता है तो वो बस सोता है।लेकिन हम अपनी जिंदगी में जो भी काम करते हैं, हमारा ध्यान कई जगह होता है।और आज कल तो हम कुछ भी करे, हमारा ध्यान अपने मोबाइल फ़ोन पर होता है, किसी से बात कर रहे हो, चाहे कोई भी काम कर रहे हैं, चाहे ऑफिस का काम कर रहे हो, तो भी हमारा ध्यान एक नहीं कई जगह होता है।
Mahatma Ji के कहने का बस एक ही मतलब था।अगर हम हर काम को पूरे फोकस के साथ करें, अगर हम अपने ध्यान को सिर्फ एक जगह पर रखें, अगर हम खाने के वक्त सिर्फ खाना खाएं और सोते हुए सिर्फ सोये तो वही हमारे लिए ध्यान बन जाता है।
अगर हम पूरा दिन सिर्फ एक बात का ध्यान रखें कि हमें अवेयर होकर रहना है, हमें जो काम करना है।उस पर ही पूरा फोकस करना है। अपने दिमाग में फालतू के थॉट्स नहीं लाने तो हम पूरा दिन ध्यान की अवस्था में रह सकते हैं और यही आत्मज्ञान की पहली सीढ़ी है।
अगर आपको यह कहानी पसंद आई है। तो अपने दोस्तों के साथ शेर कीजिये।अगर आप और कहानियां पढ़ना चाहते हैं। तो यहां क्लिक करें।
By Sadda Punjab